Health Tips For Pregnant Ladies in Hindi – प्रेगनेंसी टिप्स

माँ बनना एक स्त्री के जीवन के महत्वपूर्ण पड़ावों में से एक है. सम्भवतः मातृत्व सुख एक स्त्री के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि (achievement) होती है. कुदरत द्वारा दिया गया यह वह अनमोल तोहफा है जिसकी खुशी को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. इस खुशी को पाने के लिए प्रत्येक स्त्री को गर्भावस्था (जो कि 9 महीने तक होती है) से गुज़रना पड़ता है. गर्भावस्था (pregnancy) के दौरान स्त्री को शारीरिक व भावनात्मक (physically and emotionally) तौर पर कुछ बदलाव महसूस होते हैं, जो कि स्वभाविक है. एक गर्भवती स्त्री (pregnant woman) को अपने खान पान (diet) के साथ साथ और भी कई तरह की बातों का ध्यान (pregnancy care in hindi) रखना पड़ता है ताकि वह एक स्वस्थ बच्चे (healthy baby) को जन्म दे सके.

जानिये औरत के गर्भ को कैसे ताकतवर बनाये जिससे माँ और बच्चा स्वस्थ रहे | Jaaniye aurat ke garbh ko kaise taaqatwar banaye jisse maa aur bacha swasth rahe| Pregnancy Care Tips For Pregnant Womens In Hindi

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यदि आप भी गर्भावस्था (pregnancy) की ओर कदम बढ़ा चुकी है तो यह लेख (article) आपके लिए ही है. इस लेख (article) में आप जान पायेंगी ऐसे 25 प्रेगनेंसी केयर टिप्स (25 pregnancy care tips) जो आने वाले दिनों में आपके लिए काफी सहायक (very helpful) सिद्ध होंगे.

तो आइये जानते हैं कुछ ऐसे प्रेगनेंसी टिप्स (pregnancy tips hindi mein) जिनको फॉलो (follow) करके आप स्वयं की गर्भावस्था में देखभाल (Garbhavastha Mein Dekhbhal) कर सकती हैं. (health tips for pregnant ladies in hindi)

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25+ health tips for pregnant ladies

जानिये आखिर क्यों गर्भावस्था के दौरान शारीरिक बदलाव की वजह से होता है पूरे शरीर में सामान्‍य दर्द | Jaaniye aakhir kyon pregnancy ke dauran sharirik badlaav ki vajah se hota hai poore shareer mein samanya dard

  1.  जैसे ही आपको पता चले कि आप गर्भवती है तो आप अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर अपना जच्चा बच्चा रक्षा कार्ड बनवा लें. इससे आपको गर्भवती महिलाओं को सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाएँ तो मिलेंगी ही और साथ ही साथ आपके होने वाले शिशु के टीकाकरण का विवरण भी प्राप्त हो सकेगा.
  2.  गर्भावस्था के पहले महीने में स्त्री के शरीर में कुछ hormonal changes होते हैं, जिसके कारण थकान (fatigue) महसूस होती है. आप मॉर्निंग sickness, उल्टियाँ होना (vomiting), जी मिचलाना, चक्कर आना आदि की भी शिकार हो सकती है. शुरू के तीन महीने ऐसी समस्याओं से जूझना आम बात है. यह एक temporary phase होता है, जो समय के साथ ठीक हो जाता है. ऐसे में घबराना नहीं चाहिए.
  3.  इसी समय भ्रूण (foetus) का विकास तेजी से होता है, जिसके लिए आपके शरीर में खून की पर्याप्त मात्रा होना अति आवश्यक है. खून की कमी को पूरा करने के लिए आप आयरन (iron) से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जैसे कि पालक (spinach), बीन्स (beans), चूकुन्दर (beetroot), अनार (pomegranate) आदि.
  4.  डॉक्टर (doctor) की सलाह पर फॉलिक एसिड (folic acid) लेना इसी माह से शुरू कर दें. डॉक्टर यदि कोई अन्य सप्लिमेंट्स (supplements) भी prescribe करें तो उसे भी नियमानुसार जरूर फॉलो (follow) करें.
  5.  गर्भावस्था के दौरान पपीते (papaya) का सेवन वर्जित है. पपीते में पाया जाने वाला पपायन (Papain) महिला प्रजनन हार्मोन (प्रोजेस्टेरोन) के उत्पादन को कम करता है। प्रोजेस्टेरोन से गर्भाशय का निर्माण होता है. अतः पपीता ना खायें. इससे गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है.
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  1.  एक अन्य फल अन्नानस (pine apple) भी आमतौर पर डॉक्टर ना खाने की सलाह देते हैं. अन्नानस में मौजूद Bromelain नामक तत्व गर्भाशय ग्रीवा (cervix) को कमजोर करता है, जिससे गर्भपात होने का खतरा रहता है.
  2.  पानी भरपूर मात्रा में पीयें. दिन भर में कम से कम 12-14 गिलास पानी पीयें. अधिक मात्रा में पानी पीना आपको dehydration से बचायेगा और साथ ही साथ आपके शरीर से विषैले तत्वों को भी निष्कासित करेगा.
  3.  शुरू के तीन महीनों में आपको भूख तो महसूस होगी परंतु कुछ खाने पीने का मन नहीं करेगा. हो सकता है आपको कुछ खाद्य पदार्थों का स्वाद भी अजीब सा लगे. ऐसा होना स्वाभाविक है. ऐसे में आपको सलाह दी जाती है कि आप हर 3 – 4 घंटे पर कुछ ना कुछ खाती रहे. जो आपके मन को भाये वही खाये. इच्छा के विरुद्ध ना खायें.
  4.  आपको बार बार मूत्र त्याग की इच्छा भी हो सकती है. ऐसा शरीर में प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन के बढ़ने के कारण होता है। इस समय शरीर अधिक से अधिक खून श्रोणि क्षेत्र (Pelvic Region) में भेजता है जिसकी वजह से मूत्राशय में जलन होता है और बार-बार पेशाब लगता है. ऐसी स्थिति में पेशाब को रोक कर ना रखें.
  5.  गर्भावस्था में कब्ज (constipation) होना भी एक आम समस्या है. कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए आप अधिक से अधिक मात्रा में पानी पीयें. हो सके तो पानी उबालकर पीयें.
  6.  दूसरी तिमाही में प्रवेश करते ही आप को  Tetanus Toxoid का पहला टीका लगवा लेना चाहिए. दूसरा टीका एक महीने बाद लगवाएं.
  7.  डॉक्टर द्वारा सुझाए गए सभी प्रकार के टेस्ट (test) समय – समय पर करवाते रहें. विशेषतः थायराइड (thyroid) और मधुमेह (diabetes) की जाँच अवश्य करवाये.
  8.  दूसरी तिमाही के शुरूआत से ही डॉक्टर आपको अन्य सप्लिमेंट्स (supplements) जैसे कि कैल्सियम (calcium), आयरन (iron) आदि खाने की भी सलाह देंगे. कुछ महिलाओं को ये दवाइयां लेने से उल्टियां (vomiting) होने लगती है. इसके बारे में अपने डॉक्टर से अवश्य बात करें.
  9. ये सप्लिमेंट्स लेने के साथ साथ अपनी डाइट (diet) पर भी ध्यान दें. संतुलित भोजन करें. अपने आहार में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें जो आयरन (iron), कैल्सियम (calcium), प्रोटीन (protein) व विटामिन (vitamins) से भरपूर हो.गर्भावस्था के बाद इन 10 असरदार नुस्खों से कम करें अपना पेट , 10 Effective Ways To Loose Weight In Pregnancy
  10. जंक फूड (junk foods), फास्ट फूड (fast foods), मसालेदार (spicy), तैलीय (oily) व गरिष्ठ भोजन, शराब (alcohol), सिगरेट (cigarettes), कैफीनयुक्त पेय पदार्थ (चाय, कॉफी इत्यादि) से परहेज करें. ऐसे खाद्य पदार्थ आपकी कब्ज की समस्या को और अधिक बढ़ा देते हैं.
  1.  ताजे फलों का जूस, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, रंग-बिरंगे फलों का चाट, अंकुरित अनाज व दालें, सूखे मेवे (dried fruits and nuts), मछली, अंडा, दूध व दूध से बने अन्य उत्पाद (dairy products) आदि स्वस्थ आहार (healthy foods) की श्रेणी में आते हैं. इनका सेवन जरूर करें.
  2.  बहुत अधिक मीठे पदार्थों का सेवन नही करना चाहिए. इससे गर्भस्थ शिशु को gestational diabetes होने का खतरा रहता है.
  3.  कच्चे व अधपके मांस व अंडे का सेवन ना करें. इससे गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क विकास मे बाधा पड़ती है. उच्च स्तर के पारे वाली मछलियों का सेवन ना करें
  4.  गर्भावस्था में प्रायः जननी की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है. इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि आप स्वयं को जितना हो सके छोटी – मोटी बीमारियों (जैसे कि सर्दी, खांसी, बुखार, सिर दर्द आदि) से बचा कर रखें. अपनी immunity को बढ़ाने के लिए प्रतिदिन नारियल पानी का सेवन करें. यदि आप पूरे 9 महीने पानी को उबालकर पियेंगी तो इससे भी आपके बीमार पड़ने की संभावना बहुत कम हो जाती है.
  5. अक्सर गर्भवती महिलाओं को पैर में ऐंठन की शिकायत होती है. पैर की ऐंठन को दूर करने के लिए प्रतिदिन केले का सेवन करें. पेट व स्तनों में खुजली (itching) की शिकायत भी हो सकती है. इसके लिए प्रभावित अंग पर नारियल का तेल (coconut oil) लगायें.
  6. हील (heel) वाले जूते – चप्‍पलों का प्रयोग बंद कर दें. इससे आपके कमर में दर्द तो होगा ही और साथ ही साथ गिरने का खतरा भी रहता है.
  7.  पीठ के बल ना सोयें. पीठ के बल सोने से गर्भाशय का सारा वज़न रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है जिससे उसमें दर्द होता है. बायीं तरफ करवट ले कर सोयें.
  8. गर्भावस्था के दौरान कोई भारी सामान ना उठायें और ना ही बहुत अधिक मेहनत करें. सीढ़ी का प्रयोग ना करें. लंबी दूरी की यात्रा करने से बचें. बहुत अधिक देर तक खड़े ना रहें.
  9.  किसी प्रकार का तनाव (stress) ना लें. गुस्सा ना करें. मधुर संगीत सुने. कोई अच्छी किताब पढ़ें. रचनात्मक कार्यों में अपना मन लगायें. इससे गर्भस्थ शिशु के बौद्धिक विकास पर सकारात्मक (positive) असर पड़ता है.
  10.  गर्भावस्था के दौरान आप हल्के – फुल्के शारीरिक व्यायाम (light exercise) कर सकती है. परंतु इसके लिए अपने डॉक्टर की सलाह लें और किसी कुशल प्रशिक्षक की निगरानी में ही व्यायाम करें.
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गर्भावस्था के दौरान सावधानियां (care in pregnancy in hindi)

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उपरोक्त वर्णित सुझावों के साथ साथ कुछ अन्य सावधानियां भी हैं जिनका ध्यान एक गर्भवती स्त्री को अवश्य रखना चाहिए. (pregnancy care tips in hindi) जैसे कि

तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें यदि गर्भस्थ शिशु ने 24 घंटे के अंदर एक बार भी हलचल (fetal movement) ना की हो, योनि मार्ग से द्रव जैसा रिसाव हो रहा हो (leaking), खून निकल रहा हो (bleeding),  अचानक आप कहीं गिर जायें, पेट मे दर्द की शिकायत हो आदि.

प्रसव पीड़ा (labour pain) एक असहनीय दर्द होता है. स्वयं को इस दर्द को सहने के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से तैयार करें. अपनी सोच सकारात्मक रखें और गर्भावस्था के इस समय को खुशी और संतुष्टि के साथ व्यतीत करें.

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