यह है महाभारत की एक अद्भुत कथा – जानिये कलियुग की यह पाँच कड़वी अर्थपूर्ण सच्चाईयाँ | Yeh hai Mahabharat ki ek adbhut katha – jaaniye Kalyug ki yeh paanch kadvi artpooran sachaaiyan

यह है महाभारत की एक अद्भुत कथा – जानिये कलियुग की यह पाँच कड़वी अर्थपूर्ण सच्चाईयाँ | Yeh hai Mahabharat ki ek adbhut katha – jaaniye Kalyug ki yeh paanch kadvi artpooran sachaaiyan

महाभारत (Mahabharat) के समय की बात है पाँचों पाण्डवों (Pandav) ने भगवान श्रीकृष्ण से कलियुग (Kalyug) के बारे में चर्चा की और कलियुग के बारे में विस्तार से पुछा और जानने की इच्छा जाहिर की कि कलियुग में मनुष्य कैसा होगा, उसके व्यवहार कैसे होंगे और उसे मोक्ष कैसे प्राप्त होगा ?

इन्ही प्रश्नों का उत्तर देने के लिए भगवान श्रीकृष्ण (Bhagwan Shri Krishan Ji) कहते हैं- “तुम पाँचों भाई वन में जाओ और जो कुछ भी दिखे वह आकर मुझे बताओ। मैं तुम्हें उसका प्रभाव बताऊँगा।” पाँचों भाई वन में गये।

युधिष्ठिर महाराज (Maharaj Yudhisthir) ने देखा कि किसी हाथी की दो सूँड है। यह देखकर आश्चर्य का पार न रहा।

अर्जुन (Arjun) दूसरी दिशा में गये। वहाँ उन्होंने देखा कि कोई पक्षी (bird) है, उसके पंखों पर वेद की ऋचाएँ लिखी हुई हैं पर वह पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है यह भी आश्चर्य है !

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भीम (Bheem) ने तीसरा आश्चर्य देखा कि गाय ने बछड़े को जन्म (birth) दिया है और बछड़े को इतना चाट रही है कि बछड़ा लहुलुहान हो जाता है।

सहदेव (Sahdev) ने चौथा आश्चर्य देखा कि छः सात कुएँ हैं और आसपास के कुओं में पानी है किन्तु बीच का कुआँ खाली है। बीच का कुआँ गहरा है फिर भी पानी नहीं है।

पाँचवे भाई नकुल (Nakul) ने भी एक अदभुत आश्चर्य देखा कि एक पहाड़ (mountain) के ऊपर से एक बड़ी शिला लुढ़कती-लुढ़कती आती और कितने ही वृक्षों से टकराई पर उन वृक्षों के तने उसे रोक न सके। कितनी ही अन्य शिलाओं के साथ टकराई पर वह रुक न सकीं। अंत में एक अत्यंत छोटे पौधे (small plant) का स्पर्श होते ही वह स्थिर हो गई। पाँचों भाईयों के आश्चर्यों का कोई पार नहीं !

शाम को वे श्रीकृष्ण के पास गये और अपने अलग-अलग दृश्यों का वर्णन किया।

युधिष्ठिर कहते हैं- “मैंने दो सूँडवाला हाथी देखा तो मेरे आश्चर्य का कोई पार न रहा।”
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तब श्री कृष्ण कहते हैं- “कलियुग में ऐसे लोगों का राज्य होगा जो दोनों ओर से शोषण करेंगे। बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ। ऐसे लोगों का राज्य होगा। इससे तुम पहले राज्य कर लो।”

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अर्जुन ने आश्चर्य देखा कि पक्षी के पंखों पर वेद की ऋचाएँ लिखी हुई हैं और पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है। इसी प्रकार कलियुग में ऐसे लोग रहेंगे जो बड़े- बड़े पंडित और विद्वान कहलायेंगे किन्तु वे यही देखते रहेंगे कि कौन-सा मनुष्य मरे और हमारे नाम से संपत्ति कर जाये। “संस्था” के व्यक्ति विचारेंगे कि कौन सा मनुष्य मरे और संस्था हमारे नाम से हो जाये। हर जाति धर्म के प्रमुख पद पर बैठे विचार करेंगे कि कब किसका श्राद्ध है ?
चाहे कितने भी बड़े लोग होंगे किन्तु उनकी दृष्टि तो धन के ऊपर (मांस के ऊपर) ही रहेगी।

ऐसे लोगों की बहुतायत होगी जो परधन को हरने और छीनने को आतुर होंगे और कोई कोई विरला ही संत पुरूष होगा।

भीम ने तीसरा आश्चर्य देखा कि गाय अपने बछड़े को इतना चाटती है बछड़ा लहुलुहान हो जाता है। कलियुग का आदमी शिशुपाल हो जायेगा। बालकों के लिए इतनी ममता (Care love for kids) करेगा कि उन्हें अपने विकास का अवसर ही नहीं मिलेगा। “”किसी का बेटा घर छोड़कर साधु बनेगा तो हजारों व्यक्ति दर्शन करेंगे…. किन्तु यदि अपना बेटा साधु बनता होगा तो रोयेंगे कि मेरे बेटे का क्या होगा ?””

इतनी सारी ममता होगी कि उसे मोहमाया और परिवार में ही बाँधकर रखेंगे और उसका जीवन वहीं खत्म हो जाएगा। अंत में बिचारा अनाथ होकर मरेगा। वास्तव में लड़के तुम्हारे नहीं हैं, वे तो बहुओं की अमानत हैं, लड़कियाँ जमाइयों की अमानत हैं और तुम्हारा यह शरीर मृत्यु की अमानत है। तुम्हारी आत्मा-परमात्मा की अमानत है ।

तुम अपने शाश्वत संबंध को जान लो बस !

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सहदेव ने चौथा आश्चर्य यह देखा कि पाँच सात भरे कुएँ के बीच का कुआँ एक दम खाली ! कलियुग में धनाढय लोग (Rich People) लड़के-लड़की के विवाह (Marriage) में, मकान के उत्सव में, छोटे-बड़े उत्सवों में तो लाखों रूपये खर्च कर देंगे परन्तु पड़ोस में ही यदि कोई भूखा प्यासा होगा तो यह नहीं देखेंगे कि उसका पेट भरा है या नहीं। दूसरी और मौज-मौज में, शराब, कबाब, फैशन और व्यसन में पैसे उड़ा देंगे। किन्तु किसी के दो आँसूँ पोंछने में उनकी रूचि न होगी और जिनकी रूचि होगी उन पर कलियुग का प्रभाव नहीं होगा, उन पर भगवान का प्रभाव होगा।
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पाँचवा आश्चर्य यह था कि एक बड़ी चट्टान पहाड़ पर से लुढ़की, वृक्षों (Trees) के तने और चट्टाने (Big Stones) उसे रोक न पाये किन्तु एक छोटे से पौधे से टकराते ही वह चट्टान रूक गई। कलियुग में मानव का मन नीचे गिरेगा, उसका जीवन पतित होगा। यह पतित जीवन धन की शिलाओं से नहीं रूकेगा न ही सत्ता के वृक्षों से रूकेगा। किन्तु हरिनाम के एक छोटे से पौधे से, हरि कीर्तन के एक छोटे से पौधे से मनुष्य जीवन का पतन होना रूक जायेगा।

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