रोग का एक कारण है प्लास्टिक के कप | Rog ka ek kaaran hai plastic ke cup

रोग का एक कारण है प्लास्टिक के कप | Rog ka ek kaaran hai plastic ke cup

देश में एक वक्त ऐसा था, जब सार्वजनिक स्थलों (public places) से लेकर वैवाहिक कार्यक्रमों (marriage programs) में चाय के लिए मिट्टी के कुल्हड़ों का चलन था। उपयोग के बाद आसानी से नष्ट होने के चलते ईको फ्रेंडली (eco friendly) भी होते हैं। जबकि प्लास्टिक को गलने में लंबा वक्त लगता है। जिससे हमारा पर्यावरण भी दूषित (poisonous atmosphere) होता है। कई बार जानवर प्लास्टिक खाने से अनायास ही मौत (sudden death) के मुंह में चले जाते हैं। दूषित वातावरण से छुटकारा और सेहत की सुरक्षा की अनदेखी (ignoring) न करते हुए पारंपरिक तरीकों को अपनाने में परहेज नहीं (dont hesitate to do traditional tricks) करना चाहिए। कुल्हड़ों के उपयोग के लिए लोगों में जागरूकता के बीज बोने होंगे और प्लास्टिक की वस्तुओं पर निर्भरता भी कम करनी होगी। साथ ही कुम्हारों को भी उचित पारिश्रमिक देकर मिट्टी के कप के बनाने के लिए प्रोत्साहित (motivate the industry) करना होगा तभी वैकल्पिक रास्ते (search for other options) की खोज की जा सकती है।

तेज रफ्तार दौड़ती जिंदगी के बीच गर्म चाय की चुस्की राहत तो देती है लेकिन अगर आप चाय का मजा प्लास्टिक के कप में ले रहे हैं तो सावधान (beware if you drinking tea, coffee in plastic or thermocol cup) हो जाइए। प्लास्टिक के कप में लगातार चाय या दूसरी गर्म चीज पीने से खतरनाक एलिमेंट (bad elements enters in your body) आपके शरीर के अंदर पहुंचते हैं। आप प्लास्टिक के कप में चाय नहीं, बल्कि ‘गर्म जहर’ पी (drinking poison) रहे हैं जिसमें केमिकल्स (chemicals) मिले होते हैं जो आपकी बॉडी को अंदर से बीमार (make you weaker from inside) बना रहे हैं।

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एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्लास्टिक के कप और बोतल में बिस्फिनॉल-ए और डाईइथाइल हेक्सिल फैलेट जैसे केमिकल्स पाए जाते हैं जो कैंसर (cancer), अल्सर (ulcer) और स्किन रोगों (skin infection) का कारण बन रहे हैं। अब तो यह भी खुलासा हुआ है कि प्लास्टिक के बोतल में दवा भी सेफ (even medicine is also not safe in plastic case) नहीं है। जो लोग घर में प्लास्टिक के कप में चाय-कॉफी या फिर प्लास्टिक की थाली में खाना खाते हैं वह काफी खतरनाक (very dangerous to eat and drink in plastic plates and glass) है।

प्लास्टिक के कप और प्लेट में बिस्फिनॉल-ए और डाईइथाइल हेक्सिल फैलेट जैसे केमिकल्स पाए जाते हैं, जो गर्म पानी या चाय के प्लास्टिक के कॉन्टैक्ट में आने से टूटने लगते हैं और आपकी बॉडी में एंट्री (enters in the body) करते हैं। वहीं जो लोग प्लास्टिक की बोतल में पानी रखते हैं और उसे लगातार पीते हैं, उनके लिए भी खतरा बढ़ जाता है। क्योंकि बार-बार धोने से भी प्लास्टिक की बोतल में से केमिकल्स निकलने लगते हैं। जैसे ही ये केमिकल्स बॉडी में मिलते हैं, शरीर में हॉर्मोनल इम्बैलेंस (hormone imbalance), कैंसर और अल्सर का खतरा पैदा हो जाता है।

जितना गर्म उतना खतरा  – ज्यादा गर्म चीजों के प्लास्टिक के कप या प्लेट में पीने-खाने से टॉक्सिक आइटम्स (toxic item) के बॉडी में पहुंचने की संभावना (possibility) बढ़ जाती है। गर्म खाने से प्लास्टिक या कॉफी के जरिए बॉडी में आकर बीमारियां फैलाते हैं। उन्होंने बताया कि बिस्फिनॉल-ए डाउन सिंड्रोम और मानसिक विकलांगता को जन्म देता है। एक हफ्ते प्लास्टिक की बोतल का यूज से उससे टॉक्सिक एलिमेंट आने लगता है, वहीं धूप में गर्म होने से भी ऐसा तुरंत होने लगता के कप या थाली में मौजूद केमिकल्स टूटते हैं और चाय है। इसलिए बेहतर तो यह होगा कि प्लास्टिक की बोतल का यूज ही न करें (better avoid using plastic material for food and drink) और अगर करें तो इसे यूज करके तुरंत फेंक दें।

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