योग करिये और आपने फेफड़ों को मजबूत बनाये- Do Yog and Make Your Lungs Strong

योग करिये और आपने फेफड़ों को मजबूत बनाये- Do Yog and Make Your Lungs Strong

Do Yog and Make Your Lungs Strong

क्या दिन के अंत तक आपकी सफेद शर्ट काली (white shirts turns into black) हो जाती है? क्या उसमें धूल-मिट्टी व प्रदूषण (dust and  pollution) की काली परत चढ़ जाती है? लेकिन शुक्र है, आप शर्ट घर जाकर धो (you can wash your shirt) सकते हैं। यही हाल रोज फेफड़ों का भी है.

प्राणायाम श्वसन तंत्र का एक खास व्यायाम (special exercise) है, जो फेफडों को मजबूत बनाने और रक्तसंचार (helps in increasing blood circulation) बढाने में मदद करता है। फिजियोलॉजी (physiology) के अनुसार जो वायु हम श्वसन क्रिया (oxygen inhale) के दौरान भीतर खींचते हैं वो हमारे फेफडों में जाती है और फिर पूरे शरीर (spreads in whole body) में फैल जाती है। इस तरह शरीर को जरूरी ऑक्सीजन (important oxygen) मिलता है। अगर श्वसन कार्य नियमित और सुचारु (regular and proper) रूप से चलता रहे तो फेफडे स्वस्थ (healthy lungs) रहते हैं। लेकिन अमूमन लोग गहरी सांस नहीं लेते जिसके चलते फेफडे का एक चौथाई हिस्सा ही काम करता है और बाकी का तीन चौथाई हिस्सा स्थिर (not active) रहता है। मधुमक्खी के छत्ते (bee hive) के समान फेफडे तकरीबन 75 मिलियन कोशिकाओं (tissues) से बने होते है। इनकी संरचना स्पंज (like sponge) के समान होती है। सामान्य श्वास जो हम सभी आमतौर पर लेते हैं उससे फेफडों के मात्र 20 मिलियन छिद्रों (holes) तक ही ऑक्सीजन पहुंचता है, जबकि 55 मिलियन छिद्र इसके लाभ से वंचित (not get benefit) रह जाते हैं। इस वजह से फेफडों से संबंधित कई बीमारियां (infections related lungs) मसलन ट्यूबरक्युलोसिस, रेस्पिरेटरी डिजीज (respiratory diseases – श्वसन संबंधी रोग), खांसी (cough) और ब्रॉन्काइटिस आदि पैदा हो जाती हैं। फेफडों के सही तरीके से काम न करने से रक्त शुद्धीकरण की प्रक्रिया (effects blood purification) प्रभावित होती है। इस कारण हृदय भी कमजोर (weakens the heart) हो जाता है और असमय मृत्यु की (possibility of sudden death) आशंका बढ जाती है। लंबे एवं स्वस्थ जीवन (long and healthy life) के लिए प्राणायाम बहुत जरूरी है। आइए जानते (lets know) हैं कि प्राणायाम किस तरह से हमारे शरीर के लिए (good for body)  फायदेमंद है-

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प्रदूषण का प्रभाव – Effect of Pollution

फेफडे छोटी गोलाकार स्पंजी (small round sponge) थैलियों से बने होते हैं। इन थैलियों को एल्वियोलाइ सैक्स कहते हैं। ये सांस लेने के दौरान फूल जाती हैं और ऑक्सीजन को रक्त में (mix the oxygen in blood) समाहित करने में मदद करती हैं। लेकिन प्रदूषण (pollution) एल्वियोलाइ सैक्स के लचीलेपन को नष्ट कर देता है और कई बार यह कैंसर का भी (cause of cancer) कारण बन जाता है। ऑक्सीजन की कमी से शरीर की सभी कार्यप्रणालियों पर बुरा (effects the body function system) असर पडता है।

लक्षण – Symptoms

-ऑक्सीजन की कमी – Lack of Oxygen

-थकान- Restless

-सिरदर्द – Headache

-अस्थमा और श्वास की समस्याएं – Asthama and oxygen related problems

-खांसी और जकडन- Cough and cold

-साइनस- Sinus

प्राणायाम के लाभ- Benefits of Pranayam

फेफडों की सफाई (for cleaning lungs) के लिए प्राणायाम एक बेहतरीन (best technique) तकनीक है। जब आप सांस सही तरीके (right way to inhale and exhale oxygen) से लेना सीख जाएंगे तो लंबा और स्वस्थ जीवन (long and healthy life) बिताने से आपको कोई रोक नहीं पाएगा। सही तरीके और गहरा श्वास लेने से फेफडों को पर्याप्त ऑक्सीजन (enough oxygen) मिलता है, जो फेफडों को साफ करने में मदद (help) करता है। हममें से तमाम लोग इस बात से अनभिज्ञ (unknown) हैं कि सांस छोडने के बाद भी वायु कुछ मात्रा में फेफडों में शेष (remain) रह जाती है। इसे वायु की अवशेष मात्रा कहते हैं। यह जहरीली वायु (poisonous air) होती है, जिसमें कार्बन मोनोऑक्साइड (carbon monoxide) , कार्बन डाइऑक्साइड (carbon dioxide), नाइट्रस ऑक्साइड और निलंबित कण होते हैं। इस जहरीली वायु को शरीर से हटाने के लिए प्राणायाम बहुत (pranayam is very effective) प्रभावकारी होता है।

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प्राणायाम अभ्यास करने के लिए ये तीन कदम बहुत जरूरी हैं- 3 Step for Practice of Pranayama

पूरक या अंत:श्वसन अमूमन लोग (most of the people don’t know) नहीं जानते कि श्वास कैसे (how to breath) लिया जाए। अंत: श्वसन में लगभग 10 सेकंड लगते हैं। इसलिए गहरी सांस (deep breath) लें और अपने सीने को फुलाएं।

कुंभक या श्वास रोकना: श्वास लें और जितनी देर (stop as much possible you can) संभव हो, उसे रोकें। सामान्यतया जब आप सांस लेते हैं तो उसमें सांस रोकने की प्रक्रिया (process) नहीं होती। लेकिन जब आप सांस साधना (practice) या रोकना सीख (learn) जाएंगे तो रक्त में ऑक्सीजन समाहित करने की (increase the capacity) क्षमता भी बढ जाएगी।

रेचक या सांस छोडने की क्रिया – inhale and exhale practice of oxygen

पंद्रह सेकंड तक सांस धीरे-धीरे छोडने से आखिरी वायु भी फेफडों (air comes out from lungs too) से निकल जाएगी, जो स्थिर होने पर जहरीली (poisonous) हो जाती है। प्रत्येक तकनीक 5 बार जरूर करें।

भस्त्रिका प्राणायाम – Bhastrika Pranayam

आराम की मुद्रा में बैठ (sit in rest form) जाएं- मसलन सुखासन, वज्रासन या पद्मासन। पीठ व गर्दन सीधी (straight nech and back) रखें। नाक से सांस छोडें और खींचें। आंखें बंद (close your eyes) रखें।

-गहरी सांस (take deep breath) लेते समय हाथों को ऊपर उठाएं।

-हाथों को कंधों के समानांतर (equal gap) नीचे लाते हुए जोर से सांस छोडें। सांस पर ध्यान केंद्रित रखें (focus on breath) और गिनती गिनें। इसके बाद नाक के दोनों छिद्रों को (close your nose) बंद करें और कुछ सेकंड सांस रोकें।

समयावधि: शुरुआत (starting) में अपनी क्षमता (capacity) के मुताबिक अभ्यास (practice) करें। धीरे-धीरे 100 बार तक करें।

लाभ : फेफडों से बार-बार सांस बाहर निकलने (exhale) व भीतर जाने (inhale) से पर्याप्त ऑक्सीजन मिलता है और जहरीली गैसें बाहर (removes toxic gases) निकलती हैं।

नोट : जिन्हें उच रक्तचाप (high blood pressure) व हृदय संबंधी समस्याएं (heart related problems) हैं, उन्हें प्राणायाम नहीं (don’t do this) करना चाहिए।

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कपालभाति – Kapalabhati

यह क्रिया नाडी को साफ और मस्तिष्क को शांत (calm the mind) करती है। यह मानसिक कार्य (mental work) करने के लिए मस्तिष्क को ताकत और ऊर्जा (power and energy) देने का काम करती है। यह क्रिया फेफडों की ब्लॉकेज खोलने में (helps to remove blockage in lungs) मदद करती है। नर्वस सिस्टम (nervous system)को मजबूत और पाचन क्रिया को दुरुस्त (improves digestion system) करने का भी काम करती है।

-आराम की मुद्रा में (sit in relax form) बैठ जाएं। पीठ और गर्दन सीधी रखें।

-सांस बाहर छोडने के दौरान पेट को झटके से अंदर (push stomach inside) की तरफ खींचें। इसके बाद सामान्य रूप (normal breath) से सांस लें।

समयावधि – Time frame

यह क्रिया कम से कम 5 मिनट तक करें। Do this for 5 minutes

अनुलोम-विलोम – Anulom Vilom

अपने दाहिने हाथ (left hand thumb) के अंगूठे से नाक का दाहिना छिद्र बंद करें। अब नाक के बाएं छिद्र से धीरे-धीरे सांस खींचें जब तक कि फेफडों में ऑक्सीजन (till lung snot fill with oxygen) भर न जाएं। इस क्रिया को पूरक के नाम (name) से जानते हैं। अब नाक के बाएं छिद्र को अनामिका (ring finger) और मध्यमा उंगली (middle finger) से बंद करें और दाएं छिद्र को खोलकर धीरे-धीरे सांस छोडें। इस क्रिया को रेचक कहते हैं। सांस तब तक बाहर छोडते रहें जब तक कि फफडे से वायु पूरी. (till not remove whole air) तरह निकल न जाए। नाक के बाएं छिद्र से सांस खींचना. (inhale) और दाहिने छिद्र से सांस बाहर. (exhale) निकालना इस क्रिया का पहला चक्र हुआ। अब दाहिने छिद्र से सांस खींचें और बाएं छिद्र से सांस छोडें। यह दूसरा चक्र. (second round) हुआ।

समयावधि – Time frame

शुरुआत. (in starting) में अपनी क्षमता. (as per your capacity) के मुताबिक इसका रोजाना कम से कम 3 मिनट तक अभ्यास. (practice) करें। धीरे-धीरे. (slowly) रोजाना 15-20 मिनट तक करें। संभव हो. (if possible) तो इसे दिन में दो बार सुबह और शाम. (do it in morning and evening) को जरूर करें।

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लाभ – Benefits.

-संपूर्ण शरीर. (whole body) और मस्तिष्क. (brain) के शुद्धीकरण. (purify) के लिए अनुलोम-विलोम प्राणायाम एक बेहतरीन व्यायाम है। यह शरीर को रोगों से बचाने में मदद करता है और उसे भीतर से मजबूत बनाता है।

ध्यान रखें – Remember This.

-इसे आसान मुद्रा में बैठकर करें मसलन- पद्मासन, सिद्धासन या वज्रासन।

-सांस नाक. (breath from nose only) से ही लें, ताकि जो वायु. (air) अंदर लें, वह फिल्टर. (filter) होकर भीतर जाए।

-प्राणायाम के लिए साफ और शांत. (clean and calm) जगह चुनें। बेहतर होगा कि प्रात:काल जब पेट खाली. (empty stomach) हो तब करें।

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