जानिये फांसी के बारे कुछ रोचक जानकारीयाँ | Jaaniye hanging ke bare mein kuch interesting facts
जानिये फांसी के बारे कुछ रोचक जानकारीयाँ | Jaaniye hanging ke bare mein kuch interesting facts
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- सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश (as per supreme court’s guidance) के मुताबिक जिसे मौत की सजा दी जाती है उसके रिश्तेदारों (relatives) को कम से कम 15 दिन पहले खबर मिल जानी चाहिए (they come and meet) ताकि वो आकर मिल सकें.
- फांसी की सजा पाए कैदियों के लिए फंदा जेल में ही सजा काट रहा कैदी (made by prisoner only) तैयार करता है आपको अचरज हो सकता है, लेकिन अंग्रेजों के जमाने से ऐसी ही व्यवस्था चली आ रही हैं.
- देश के किसी भी कोने में फांसी देने की अगर नौबत आती है तो फंदा सिर्फ बिहार की बक्सर जेल (buxer jail) में ही तैयार होता है इसकी वजह यह है कि वहां के कैदी इसे तैयार (professional in making hanging rope) करने में माहिर माने जाते हैं.
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- फांसी के फंदे की मोटाई (thickness is limited) को लेकर भी मापदंड तय है. फंदे की रस्सी डेढ़ इंच से ज्यादा मोटी रखने के निर्देश हैं. इसकी लंबाई भी तय हैं.
- फाँसी के फंदे की कीमत बेहद (very less price) कम हैं. दस साल पहले जब धनंजय को फांसी दी गई थी, तब यह 182 रुपए में जेल प्रशासन को उपलब्ध (jail administration) कराया गया था.
- भारत में फांसी देने के लिए बस 2 ही जल्लाद हैं. ये जल्लाद जिन राज्यों (states) में रहते हैं वहाँ की सरकार (government) इन्हें 3,000 रूपए महीने के देती हैं और किसी को फांसी देने पर अलग से पैसे दिए जाते हैं. आतंकवादी संगठनो के सदस्यों (members of terrorists group) को फांसी देने पर उनको मोटी फीस (big fees) दी जाती हैं जैसे इंदिरा गांधी के हत्यारों को फांसी देने पर जल्लाद को 25,000 रूपए दिए गए थे.
- हमारे देश में दुर्लभतम मामलों (rare cases) में मौत की सजा दी जाती है. अदालत को अपने फैसले में ये लिखना पड़ता है कि मामले को दुर्लभतम (rarest of rare- रेयरेस्ट ऑफ द रेयर) क्यों माना गया ?